Monday 20 July 2015

अभिनेत्रियां अब पर्दे पर उपभोग की वस्तु बनने को तैयार नहीं: विद्या

नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में हिंदी फिल्मों में द्विअर्थी गीत-नृत्य और अंग प्रदर्शन बढ़े हैं, लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री विद्या बालन कहती हैं कि परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है. उनका कहना है कि भारत में अभिनेत्रियां उस मुकाम पर हैं, जहां वे पर्दे पर स्वयं को 'भोग्या' बनाए जाने से इंकार कर सकती हैं.

विद्या से पूछा गया कि बॉलीवुड में अभिनेत्रियों को उपभोग की वस्तु के रूप में दिखाए जाने को किस तरह लेती हैं? जवाब में उन्होंने मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, "समय बिल्कुल बदल गया है."

उन्होंने कहा, "मैंने यह बदलाव पिछले पांच-छह सालों में 'इश्किया' या 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी फिल्मों में काम करने के दौरान देखा. मेरा मानना है कि अभिनेत्रियों की अब पर्दे पर उपभोग की वस्तु के रूप में आने में कोई दिलचस्पी नहीं है. वे महसूस करती ...

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